Saturday, September 27, 2008
दिल्ली में महरौली में बम फटा
कितने हताहत हुये है, कितने मरे पता नहीं
अभी चैनलों के न्यूज जाकी आपको बता रहे हैं.
यही न्यूज जाकी पुलिस की लापरवाही पर चीखेंगे, चिल्लायेंगे
पुलिस को नपुंसक कहेंगे, लाशें दिखायेंगे, मुरदों से भी पूछेगें कि मर कर कैसा लग रहा है
फिर जब कोई पुलिस वाला आतंकवादी को गिरफ्तार करते समय जान दे देगा तो
यही न्यूज जाकी आतंकवादियों के मानवाधिकार पर बातें करेंगे
http://www.ibnlive.com/news/blast-in-delhis-mehrauli-area-five-killed/74473-3.html
http://www.ndtv.com/convergence/ndtv/default.aspx
रघुपति राखव राजा राम
पतित पावन सीताराम
Tuesday, September 23, 2008
जामिया के वीसी के नाम एक छोटा सा पत्र
सादर चरण स्पर्श,
मुझे को ये जानकर बहुत खुशी हुई कि आप अपने स्टूडेन्टों का कितना ध्यान रखते हैं. रखना ही चाहिये लेकिन मेरे कुछ प्रश्न हैं
1. यदि जामिया मिल्लिया इस्लामिया का कोई लड़का सड़क पर जेब काटता पकड़ा जाता तब भी आप उसका इसी तरह साथ देते?
2. यदि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुछ छात्र आपकी ही यूनिवर्सिटी की छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार में लिप्त पाये जाते तब भी आप उसे अपनी यूनिवर्सिटी से रेस्टीकेट करने के बजाय उन बलात्कारी बच्चों का साथ देते? अभिभावक की तरह, जैसे इस आतंकवादियों के साथ हैं?
जबाब देंगे क्या?
आपका
सुमो
Wednesday, September 17, 2008
हिन्दुस्तान में सब चोर उचक्के हैं और चीन में सब ईमानदार!
बहुत से लोगों को अपनी साड़ी में लिपटी सिधी साधी मां की जगह पडौस की छमकछल्लो अधिक पसंद आती है. किसी गपोड़ शंख ने लिख दिया और भाई बिना सोचे बिचारे ले उड़े और छाप दिया. अब मौका मिला है तो गरिया दो अपने भारत को, हिन्दुस्तानियों को. कौन बेबकूफ जायेगा यह सब सत्यापित करने?
लेकिन भाई मेरे हिन्दुस्तान को गरियाने से पहले नेट पर जरा चीन के भ्रष्टाचार के बारे में पता तो कर लेते
यहां पर विश्व भाई ने लिखा है कि "किसी वर्ग को पूरी तरह दबाने के लिये जरूरी है उसका आत्मसम्मान खत्म कर देना. जब अपने लिये खुद के दिल में ही सम्मान न हो तो बहुत मुश्किल है किसी दूसरे के हाथों अपना अपमान रोकना." जब कोई अपना आत्मसम्मान खुद मिटा चुका हो तो इनका भगवान भी मालिक नहीं है.
आप जाने से पहले चीन की सड़कों पर क्या होता है, ये वीडियो देख लीजिये फिर खुद फैसला कीजिये कि क्या हिन्दुस्तान में सब चोर उचक्के हैं और चीन में सब ईमानदार. देखिये कि कैसे सड़कों पर बच्चों के खाने के टिफिन लुट जाते हैं, कैसे राह चलते लोगों के लुटाई होती है.
Robbery in China - Free videos are just a click away
मैंने विरोध स्वरूप उस ब्लाग पर तिप्पणी की थी जो माडरेट नहीं की गई इसलिये तल्ख शब्दों में यह पोस्ट लिख रहा हूं
मैं, मेरा देश, मेरे देशवासी भी उतने ईमानदार और बेईमान हैं जितने किसी और देश के, न वो स्वर्ग से उतर कर आये हैं न हम मोरी के कीड़े हैं.
Monday, September 15, 2008
सर्वसम्माननीय पाटिल साहब की मुश्किल समझने की कोशिश कीजिये
दरअसल पाटिल साहब एक नंगे आदमी है, और नंग को हमेशा ये लगता है कि कहीं दूसरा उसे देख कर क्या समझेगा सो इसीलिये बार बार अपने नंग पने को छुपाने के लिये कपड़े बदलते रहते हैं
इन सर्वसम्माननीय पाटिल की मुश्किल समझने की कोशिश कीजिये
बहरहाल कांग्रेस शिवराज पाटिल को हटाने जा रही है और आज सुबह हुई आतंकवाद के ऊपर मंत्रिमंडल की बैठक में सर्वसम्माननीय पाटिल को नहीं बुलाया गया था.
विश्वास कीजिये, आने वाले 10 अक्टूबर से पहले शिवराज पाटिल गृहमंत्री की कुर्सी से हटा दिये जायेंगे।
Saturday, September 13, 2008
दिल्ली में पांच जगह बम विस्फोट
पुलिस के अनुसार पहला धमाका गफ्फार मार्केट में 6.15 पर हुआ. जिसमें सात की मौत हो गई है यह बम एक ओटो रिक्शा में रखा हुआ था. इसके बाद में कनाट प्लेस में सेन्ट्रल पार्क में विस्फ़ोट हुआ. कनाट प्लेस में यह ब्लाट डस्टबिन में रखे बमों के द्वारा किये गये. इन धमाकों के बाद ग्रेटर कैलाश के M ब्लाक मार्केट और कस्तूरबा गांधी मार्ग में गोपालदास भवन में विस्फोट हुआ. ग्रेटर कैलाश में हुये धमाके भी डस्टबिनों में रखे बम के जरिये हुई जिसमें दस दुकानों को नुकसान पहुंचा.
गफ्फार मार्केट में हुये विस्फोट की भयंकरता इस बात से जानी जा सकती है कि जिस ओटो में बम रखा हुआ था वह ऊपर उछल कर बिजली के तारों में जा फंसा. ये सारे ब्लास्ट 6.10 से 6.30 के बीच हुये. गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार ये धमाके कम तीव्रता वाले थे. ये बम आईसी में सिल्वर नाइट्रेट बाध कर किये गये और इनमें टाइमर का भी उपयोग किया गया.
संयुक्त पुलिस आयुक्त अजय कश्यप के अनुसार इंडिया गेट के पास से बम बरामद किया गया है, जिसे निष्क्रिय कर दिया गया है। इसके अलावा रीगल सिनेमा के पास भी एक जिन्दा बम पाया गया जिसे निष्क्रिय कर दिया गया.
गुब्बारे बेचने वाले एक बच्चे ने आतंकियों के चेहरे देखने का दावा किया
दिल्ली के बारहखंभा इलाके में गुब्बारे बेचने वाले एक बच्चे ने आतंकियों के चेहरे देखने का दावा किया है इस बच्चे का नाम राहुल बताया जा रहा है. पुलिस बच्चे को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई है. इस बच्चे ने बताया है कि मूंछ और दाड़ी वाले आतंकी दो थे और काले कपड़े पहने हुये थे. ये आटों में आए थे उन्होने डेस्टबिन में काली पन्नी को रखा और उसके बाद एक बड़ा धमाका हुआ.
दिल्ली में इस घटना के बाद ग्रेटर कैलाश और सरोजनी नगर के बाजार एतियातन बन्द कर दिये गये हैं और दिल्ली मेट्रो ने भी अपनी ट्रेनें सस्पेन्ड कर दीं.
कुछ साल पहले दिवाली से पहले 29 अक्टूबर को सरोजिनी मार्केट, गोविन्दपुरी और पहाड़गंज में कायर आतंकवादियों ने विस्फोट किया था जिसमें 70 जानें गई थी.
धमाकों से पांच मिनट पहले ई-मेल भेजी
बताया जाता है इन धमाकों से पांच मिनट पहले इन्डियन मुजाहिदीन द्वारा मीडिया को ई-मेल द्वारा ये धमाके करने की पूर्व सूचना दे दी गई थी. इस ई-मेल में कहा गया था कि पांच मिनट में दिल्ली में धमाके होने वाले हैं, रोक सको तो रोक लो। हालांकि पुलिस का कहना है कि बिना जांच किए इस धमाके के लिए किसी संगठन को जल्दबाजी में जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इसी आतंकवादी संगठन ने 26 जुलाई को अहमदाबाद में हुये विस्फोटों की जिम्मेदारी भी ली थी.
इन्डियन मुजाहिदीन बैन किये गये सिमी की छाया संस्था है, इसने कहा है कि यह उसके आपरेशन BAD का नतीजा है जिसके तहत उसने (B) बैंगलोर, (A) अहमदाबाद, (D)दिल्ली में विस्फोट किये.
स्रोत: NDTV, Indiatimes, Jagaran, Dainik Bhaskar and other agencies.
गुजरात पुलिस ने पहले ही बता दिया था
नरेन्द्र मोदी ने इन विस्फोटों की निंदा करते हुये कहा कि गुजरात पुलिस ने केन्द्र को इन आतंकियों के बारे में पहले ही विस्तार से बता दिया था.
लगभग दो महीने पहले गृहमंत्रालय ने स्पाई नेटवर्क में मुखबिरी को मजबूत बनाने के लिये दो हजार करोड़ मांगे थे लेकिन वित्त मंत्रालय ने मना कर दिया. क्या इस बात से यह जाहिर नहीं होता कि वित्त मंत्रालय इस बात को कितने हल्के से लेता है. यह बात तब है जबकि वित्तमंत्रालय की कर वसूली पिछले सालों में ढाई गुना बढ़ चुकी है.
वैसे हमारे प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने इन धमाकों की निंदा करने की रस्म अदायगी भी कर दी है.
Thursday, September 11, 2008
श्रम कानून बेशरम संस्थानों पर लागू क्यों नहीं होता?
आज श्री विष्णु वैरागी के ब्लाग पर जाना हुआ जिसमें उन्होंने चर्च के जलाये जाने की घटना और इसकी जांच का उल्लेख किया है
इसी के चलते पता चला कि पुलिस द्वारा एक चौकीदार को पकड़ा गया है जिसको वेतन में सिर्फ 1 हजार प्रतिमाह मिलते थे और इसमें से भी पांच सौ रुपये किसी मद में काट लिये जाते थे पुलिस के अनुसार नवम्बर में इसकी आखिरी किश्त काटने के बाद इसकी नौकरी खत्म करने की बात भी बताई गई है
भारत सरकार ने न्यूनतम वेतन कानून बना रखा है मुझे नहीं मालूम कि मध्यप्रदेश में यह कितना है लेकिन एक हजार जितना चौच का दाना तो कतई नहीं होगा इतने कम वेतन में तो आदमी खुद वे-तन हो जायेगा
शायद श्रम कानून धार्मिक संस्थाओं पर लागू नहीं होते होंगे इस प्रकार एसी संस्थाये जो सारी दुनियां को भला बनने की शिक्षा देते रहते हैं,शोषण करने का अधिकार मिल जाता है आज के युग में एक हजार से भी कम वेतन शोषण नहीं है तो और क्या है
इससे भी दर्दनाक श्री द्विवेदी जी की टिप्पणी जानकर लगा कि सरकारी विभाग भी कुछ एसा ही कर रहे हैं
हो सकता हो कि धार्मिक संस्थानों पर न्यूनतम वेतन की बात से आपकी धार्मिक भावना आहत हुईं हो, माफ कीजिये लेकिन इतने कम वेतन की बात पर मेरी भी भावनायें आहत ही हुई हैं.
क्या इसका कोई इलाज नहीं है?
पुनश्च: ऊपर में बेशरम के स्थान पर बे-श्रम लिखना चाहता था पर बाद में सोचा कि शायद अनजाने में ही सही सही लिख गया हो