Friday, December 5, 2008

लीजिये अमेरिका ने हमलों में पाकिस्तान के खिलाफ सबूत दे दिये.


अब तक पाकिस्तान अपना बेशर्मी से अपना सीना चौड़ा करके कह रहा था कि हमारे नागरिक मुम्बई के हमलों में शामिल नहीं है, या हमारे खिलाफ कोई सबूत नहीं है, या ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला

अभी तक आतंकवादी हमलों में सिर्फ हिन्दुस्तानी लोग मरते रहे थे. अब हिन्दुस्तानी का मरना क्या और जीना क्या. हये, हये मौत तो अमेरिकी लोगों की होती है, उनकी मौत की बात ही कुछ और होती है.

तो भईया इस हमले में अब अमेरिकी और इजरायली भी मर गये.अमेरिकी और इजरायली मरे तो अमेरिका चेता,अमेरिका चेता तो अमेरिका ने जांच की, अमेरिका ने जांच की तो अमेरिका के हाथ सबूत लगे.

ज्जे देखो सबूत
पक्के सबूत थे,हिन्दुस्तान ने नहीं बल्कि अमेरिका ने दिये थे सो पाकिस्तान ने भी गर्दन नीची करके मान लिया है कि हां आतंकवादी पाकिस्तानी आदमी ही थे

अमेरिकी रक्षा प्रमुख ने भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के.नारायणन और रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी को भी पाकिस्तान के खिलाफ ये सारे सबूत सौंप दिये हैं. अमेरिका ने यह भी बता दिया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजंसियों ने लश्कर-ए-तईबा का हाथ होने की बात मान ली है.
इन सबूतों के आधार पर भारत में पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है. मुंबई पर आतंकवादी हमले के सिलसिले जम्मू कश्मीर पुलिस के एक कॉन्सटेबल को गिरफ्तार किया गया है.इस कॉन्सटेबल का नाम मुख्तार अहमद है.दूसरा व्यक्ति तौसिफ रहमान है,जिसे पश्चिम बंगाल से पकड़ा गया है.

चलते चलते यह भी सुन लीजिये कि विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने कल गुरुवार को पाकिस्तान को हुक्म सुना दिया है कि जमात-उद-दावा के फाउंडर हफीज़ सइद को गिरफ्तार किया जाए।

और हां, अपने अमरसिंह भईया कहां है, कुछ मालूम है क्या आपको?

Monday, December 1, 2008

अगर ये संदीप उन्नीकृष्णन का घर नहीं होता तो एक कुत्ता भी वहां नहीं जाता


वैसे तो कम्युनिष्टों की नजर में देश की कीमत कुछ भी नहीं होती. इनके लिये चीन और रूस में बैठे अपने आकाओ का हुक्म के आगे देश क्या चीज है. उस पर आजकल नेताओं का दिमाग पहले से ही हिला हुआ है सो केरल के चीफ मिनिस्टर बुढऊ वी एस अच्युतनन्दन का दिमाग कैसे काबू में रहता?

कल जब शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के पिता ने उन्हें अपने बेटे के नाम पर राजनीति चमकाने के आरोप में घर में नहीं घुसने दिया तो बुढऊ वी एस अच्युतनन्दन का एकदम पाजामा फाड़कर पगला जाना एकदम स्वाभाविक था, सो पगला गये.

अपने पागलपन में बुढऊ वी एस अच्युतनन्दन ने फरमाया कि अगर वह संदीप का घर नहीं होता तो कोई कुत्ता भी वहां नहीं जाता.

संभालो बुढऊ वी एस अच्युतनन्दन, अपने साथ पाटिलों, नकवियों और देशमुखों को अपने साथ लेकर थोड़ा आगरा घूम आओ. मर्ज गंभीर है लेकिन शायद सबकी तबियत थोड़ा थोड़ा सुधार जाये.

वैसे मेरे ढाबे वाले सरदार गुरनाम सिंघ का कहना है कि बाउजी, ये पार्टी तो नेताजी सुभाष बोस तक के बारे में अनाप शनाप बकती रही, जो चाइना भारत युद्ध के समय देशद्रोह करके चाइना का फेवर करे उससे और क्या उम्मीद कर सकते हो. ये नहीं सुधरने के.
आपका क्या ख्याल है?