Monday, December 1, 2008

अगर ये संदीप उन्नीकृष्णन का घर नहीं होता तो एक कुत्ता भी वहां नहीं जाता


वैसे तो कम्युनिष्टों की नजर में देश की कीमत कुछ भी नहीं होती. इनके लिये चीन और रूस में बैठे अपने आकाओ का हुक्म के आगे देश क्या चीज है. उस पर आजकल नेताओं का दिमाग पहले से ही हिला हुआ है सो केरल के चीफ मिनिस्टर बुढऊ वी एस अच्युतनन्दन का दिमाग कैसे काबू में रहता?

कल जब शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के पिता ने उन्हें अपने बेटे के नाम पर राजनीति चमकाने के आरोप में घर में नहीं घुसने दिया तो बुढऊ वी एस अच्युतनन्दन का एकदम पाजामा फाड़कर पगला जाना एकदम स्वाभाविक था, सो पगला गये.

अपने पागलपन में बुढऊ वी एस अच्युतनन्दन ने फरमाया कि अगर वह संदीप का घर नहीं होता तो कोई कुत्ता भी वहां नहीं जाता.

संभालो बुढऊ वी एस अच्युतनन्दन, अपने साथ पाटिलों, नकवियों और देशमुखों को अपने साथ लेकर थोड़ा आगरा घूम आओ. मर्ज गंभीर है लेकिन शायद सबकी तबियत थोड़ा थोड़ा सुधार जाये.

वैसे मेरे ढाबे वाले सरदार गुरनाम सिंघ का कहना है कि बाउजी, ये पार्टी तो नेताजी सुभाष बोस तक के बारे में अनाप शनाप बकती रही, जो चाइना भारत युद्ध के समय देशद्रोह करके चाइना का फेवर करे उससे और क्या उम्मीद कर सकते हो. ये नहीं सुधरने के.
आपका क्या ख्याल है?

12 comments:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

इन सब की तीन दवाई
जूता चप्पल और पिटाई

ghughutibasuti said...

यही कि बेचारे आगरा ने आपका क्या बिगाड़ा था ?
घुघूती बासूती

राज भाटिय़ा said...

यह साले सुयर है, पक्के सुयर की असली ओलाद,हरामी, खाना हमारा खाते है, ओर राग चीन ओर रूस के इन्हे साईवेरिया मै नंगे कर के छोड आना चाहिये, साले ठंड से खुदी मर जायेगे

Varun Kumar Jaiswal said...

अरे भाई सूमो इन कमिनिष्टों को कोम्मुनिष्ट कहने का पाप क्यों कर रहे हो ?
इस अच्युतानंद की तो पैदाइश ही कुत्ता विचारों में हुई है |

सौरभ कुदेशिया said...

inki moti khal utar kar bussa bar dena chiaye..or phir dhiru singh ji ka likha nushka ajmana chaiye..

विचार-मंथन—एक नये युग का शंखनाद: क्षमा करना मेरे पूर्वजों, मैं हिजड़ा बन गया हूँ!

Anil Pusadkar said...

विचार आपकी ौर भाटिया जी तरह ही नेक है।

डॉ .अनुराग said...

सठिया गये है साथ में मानसिक असंतुलन के लक्षण है ...कुर्सी से उतारो इन्हे ..फ़िर देखे ......

राजीव रंजन प्रसाद said...

हमे कब शर्म आयेगी कि हमारे नेता एसे पागल और सिरफिरे हैं। इसकी हरकत अधिक शर्मनाक है, केरल का मुक्यमंत्री अपराधी है उसे इस पद पर रहने का अब नैतिक अधिकार नहीं।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

कुत्तों को शहीदों के यहां जाना भी नहीं चाहिये.

"तिनका" said...

wakai Sandeep ka ghar tha isley ye "Ku---a" bhi gaya tha.

"तिनका" said...

Sanddep ka ghar tha Isly ye "ku--a" bhi gaya tha

Smart Indian said...

अब अपना ख्याल क्या कहूं, सभी पाठकों की टिप्पणियों ने दिल को बहुत ठंडक दी है. कम्युनिस्म तो सारी दुनिया में कुत्ते की मौत मर चुका है. हिन्दुस्तान में कुछ करोड़पति अपने निहित स्वार्थ के लिए इसकी लाश ढो रहे हैं. जनता उन्हें उनकी औकात जल्दी ही दिखायेगी.